...

20 views

हिसाब
कितनी बार ये सोचा
कि तुमसे कुछ कहूँ
इस दर्दे दिल को मैं
अकेली ही क्यूँ सहूँ
न जाने कस बेखुदी में
जिए जा रहे हो तुम
तुमको कब इतना सब्र
की तुम सुनो ओर मैं कहूँ
हाँ उस दिन हो जाएगा
ये हिसाब हमें मंज़ूर
जब उसी दर्द से तडप के
कहने आओगे तुम हुजूर
कि
आओ बैठो पास दो पल मेरे
बहुत लंबी है दिल की दास्तां
सोचता हूँ कहाँ से करुँ शुरु
दिल कहता है यूँ रास्ता चुनो
कुछ मैं कहूँ कुछ तुम सुनो।