ज़िन्दगी
नामों निशाँ को जोड़ने का जुनूँ चढ़ाके,
करती है सौ हदों को यूं पार ज़िन्दगी।
ज़मीं से आसमां तक रहे रोज़ ताकती,
बुझती नहीं सुलगने के बाद ज़िन्दगी।
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करती है सौ हदों को यूं पार ज़िन्दगी।
ज़मीं से आसमां तक रहे रोज़ ताकती,
बुझती नहीं सुलगने के बाद ज़िन्दगी।
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