...

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कुछ कम कुछ ज्यादा
जो मिला नहीं,
उसके बारे में सोचना व्यर्थ था
सब कहते है, लेकिन तन्हा याद आए
तो फिर क्या कम था क्या ज्यादा

पर कुछ था
जो इतना कम मिला जीवन में
कि जब भी मिला
लगा कि कम मिला
जो कम मिला,
उसकी कमी रही हमेशा,

लगता है
सीने में दफ़न ही चला जाएगा
किसी ख्वाहिश की तरह.
एक शख़्स जो मेरा होना ही नही चाहा कभी,
आख़िर क्यों.!?

मुझे नज़र आते है
वो सब झूठे ख़्वाब जो देखा करते
वो भी तो कहा पूरे हुए
सब कुछ में कम मिला.!
लेकिन जिसे मिलना था
वो थोडा भी नही मिला.!!
© A Yadav