...

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दो कप चाय
इक चुटकी कहो
की इक घूंट...
जो भी रहा प्रखर रहा,
घना कोहरा
जो छाया रहा कप के साथ
जहां से
रजनीगंधा नज़र आते रहे
वहीं कृष्ण उष्ण
तेज़ अश्रुओं में
सिमट कर...