लिखा और मिटाया
बड़ी अजीब बात है बेखयाली साथ है
लिखने को बढ़ते हाथ लिखते भी कमlल हैं
फिर क्या ये बात है
लिखा और मिटाया समझ नही आया
शायद अभी वक्त है हम संसार की गिरफ्त में हैं
जब मोह छूट जाएगा वापस लोट के बुद्धू घर आएगा
खुद पर ही मुस्कुराएगा
फिर जो लिखेगा पत्थर की लकीर बन जायेगा
अभी दौर चलना है
लिखा मिटाया मैं हलचल ने बने रहना है
जब शांत हो जाएंगे
सबके साथ एकाकी जीवन बिताएंगे
न बिल्कुल घबराएंगे
निभाकर अपना किरदार जिम्मेदारी से
वापस लौट जायेंगे
फिर किसी को न समझाएंगे
न किसी को समझाएंगे
लिखने को बढ़ते हाथ लिखते भी कमlल हैं
फिर क्या ये बात है
लिखा और मिटाया समझ नही आया
शायद अभी वक्त है हम संसार की गिरफ्त में हैं
जब मोह छूट जाएगा वापस लोट के बुद्धू घर आएगा
खुद पर ही मुस्कुराएगा
फिर जो लिखेगा पत्थर की लकीर बन जायेगा
अभी दौर चलना है
लिखा मिटाया मैं हलचल ने बने रहना है
जब शांत हो जाएंगे
सबके साथ एकाकी जीवन बिताएंगे
न बिल्कुल घबराएंगे
निभाकर अपना किरदार जिम्मेदारी से
वापस लौट जायेंगे
फिर किसी को न समझाएंगे
न किसी को समझाएंगे