प्यासा के ग़ज़ल -विजय कुमार पाण्डेय
बची विचारों को पाल रहा हूं।
चुभी खारों को निकाल रहा हूं।
जिन्हें नफरत सदा रही हमसे,
उन सारों को सम्हाल रहा हूं।
न तोड़े...
चुभी खारों को निकाल रहा हूं।
जिन्हें नफरत सदा रही हमसे,
उन सारों को सम्हाल रहा हूं।
न तोड़े...