...

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कोई खंजर
कोई ख़ंजर मेरे सीने में उतर क्यों नहीं गया,
मैं उससे जुड़ा नहीं तो बिखर क्यों नहीं गया।

इसी बहाने कुछ दिन और भी जी लेता मैं,
वो आया तो मेरे पास ठहर क्यों नहीं गया।

उसके जाने से ही मेरी दुनियाँ वीरान हो गई,
औऱ लोग पूछते हैं कि मैं घर क्यों नहीं गया।

जिस शहर में कोई तेरा इंतजार कर रहा है,
तू पलट कर फ़िर उस शहर क्यों नहीं गया।

मलाल रहेगा इस बात का ताजिंदगी मुझे,
'' *प्रेम*'' तेरा हो न सका तो मर क्यों नहीं गया।।
© बेशक मैं शायर नहीं