...

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मुक्ता
#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बना गया,
उसका क्या रोना रोते हो
उसकी बाट क्या जोते हो

वो लौट कर अब न आयेगा
इस रूदन में तू क्या पाएगा ?
हां! जा चुका
वो जा चुका
नैनों में नीर
वो ला चुका
कब तक रोकोगे तुम उस को ?
कब तक टोकोगे तुम उस को ?

उसने जाना ही था इक दिन
आकाश को पाना ही था इक दिन
प्रेम तुम ने किया था उस को
अंतर्मन दे दिया था जिस को
कर दो मुक्त तुम उस को अब तो
कर दो मुक्त तुम खुद को अब तो

मुक्ति ही है प्रेम तुम्हारा
मुक्ति में ही प्रेम तुम्हारा
मुक्ति से ही प्रेम तुम्हारा

मुक्ता हो तुम !
प्रेमा हो तुम !
मुक्ता ही तुम !
प्रेमा ही तुम !




© preet