...

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अग्निपथ
एक ज्वाला भीतर बसती है...जो धधक धधक कर जलती है...
एक नई चेतना पलती है...एक नई कहानी कहती है..
संघर्ष नया नित मिलता है... नर मानव प्राणी वो है..जो नव चेतन भर कर लड़ता है...
न हार मेरे प्यारे...