...

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"धत् पगली!"
सुन
उसके माथे बिंदी
कानों की बाली
और हाथों की चूड़ी
ना जाने कबसे
तेरा नाम दोहरा रही हैं

सुन
उस माँ की कोख
और उसकी बूढी आँखें
ना जाने कबसे
तुझे ही निहारने को बेचैन हैं

सुन
तेरे बच्चे
जिन्हे कुछ खबर ही नहीं
वो कहते हैं
"माँ, हम भी पापा की तरह वीर बनेंगे"
"माँ, हम भी पापा की ही तरह,
देश की सेवा में,
अपनी जान लुटा देंगे।"

और वो
ड़री सहमी
उन्हें अपने सीने से लगा
बस रो देती है

देख
अब तो उसकी आँखें भी सूख चुकी हैं
रो रो कर
उसने अपना काजल
यूँ फैला लिया है
मानो
तू अभी आकर कहेगा
"धत् पगली!
मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"
© unnati