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युद्ध होना है अब,
किताबों की रेखाओं और हाथों के बीच,
तमतमाते शीर्षकों और,
लघु व्याख्यायों के बीच,
ये जो उंगलियां घस ली हमने,
सब कुछ सहेज याद करने में,
क ख ग और,
बड़े बड़े रसीदे याद करने में,
अंक आए भी तो,
चुल्लू भर,
यही सुनने मिलता है,
अंक भले दस में से नव हो,
ये कह कह दिल,
अकेले में खूब आंहे भरता है,
अम्मा बाबा सारे रिश्ते छूट गए,
इन संक्षिप्त उत्तरों के पीछे,
ना जाने कितने उम्र बीत गए,
प्रेम से सने निवाले अब,
तानों से होके बंध गए,
उपरांत अब इन सब के,
मांओं के प्रेम भी बट गए,
कौन से गुत्थी है ये,
जीवन है,
हार जीत लगा रहता है,
पर क्या पीछे छूट जाने से,
सांसे छीन ली जानी चाहिए,
कौन से उसूल है ये,
निहायती संस्कार तालुकों के...
© --Amrita

#writopoem
#chilhood crashes
#time to relax a bit...