अवसरों के सहारे.......
शादी में जाने का अवसर,
संग मेहमान नवाज़ी करवाने की भी ,
रसगुल्ले संग गोलगप्पे खाने का अवसर
और साथी संगी संग खिखियाने की भी ,
बनारसी लहंगे संग बरेली के झुमके
और नौलक्खे संग जुड़े में गज़रे,
होठों पे लाली और आंखों में कजरा,
फिर बस दो बूंद इत्तर के और श्रृंगार खिल उठता ,
बस है अवसर ही अवसर आगे
पर पहले मिले तो वो शहज़ादे
जिनकी संगिनी बनने का सपना वो देख रहीं हैं ,
तभी तो मिलेगा मुझे वो हर एक अवसर ,
जिन अवसरों के सहारे मैं घर में दिन गुजार रही हूं
और बस कैलेंडर देख मेरे मोहल्ले की सारी छोरियों
के हाथ पीले करवाने का जुगाड़ लगवा रही हूं
और साथ ही साथ अवसरों की सूची बना रही हूं ।
smriti Trivedy
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