...

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ना जाने कब होगी
ना जाने कब होगी
मुलाकातें हकीकत में
मिलने तूझे ये दिल तरसे
कब से तू क्यों न समझे?
बहुत हो गया ख्वाबों का
हमारा मिलना जुलना
कभी तो नजर मिलाओ
कभी तो सामने आओ
यूं ख्वाबों में कब तक हक जमाते रहोगे?
ना जाने कब होगी मुलाकातें हकीकत में।

© biji