...

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Mistake
आँखों में एक कतरा है,
दिल में दुनियाँ सारी रखी है

ज़िंदगी में जीना भी है,
पर मरने की तैयारी रखी है

मुझे बचपन खोने से डर है,
मैंने डायरी एक पुरानी रखी है

जिसे जाना हो चला जाए भले,
मैंने ज़िंदगी थोड़ी सरकारी रखी है।

ग़म बाँटे भी तो आख़िर किससे,
मैंने हँसने की बीमारी रखी है

गलती पर झुक जाऊँ अपनी,
मैंने इतनी तो ज़िम्मेदारी रखी हैं।

दिन सुकून के लिए है,
बेचैनी के लिए रात सारी रखी है
© Vinisha Dang