...

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स्त्री तुम क्या हो
स्त्री तुम क्या हो
पापा का भाग्य परी सी
माँ के संग सहेली सी
बहना एक अलबेली सी
जब से तुम आई हो
हर तरफ उजाला है।
कभी तुम लक्ष्मी के पैर सी
भाग्य रेखा सी,
समेटे सारा भाग्य
पैरों में अपने

स्त्री तुम क्या हो
कभी लक्ष्मी, कभी माँ
कभी पत्नी नई नवेली हो
कभी संग, कभी अकेली सी
कभी तुम अनकही पहेली सी
कभी वीरांगना सी
कभी कामना सी हो तुम




© Aman1097