...

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पत्थर की मूरत(गीत)
पत्थर की मूरत, तुम हो सनम..।
आवारा हवा हो तुम..।
तुम्हे कौन दिल देगा अपना,
जो बेवफा हो तुम..।2

कैसे अपनाऊ दिल में,
जो तुमने ही धोखा दिया..।
ना सोच के तुम मेरी हालत,
बीच राहों में ठुकरा दिया..।
जब से ठुकराया मेरे दिल को,
सब कुछ मेरा लुट गया...।
मैंने भी कसम खाई है।
प्यार करना छोड़ दिया।


तुम्हे कुछ समझ नहीं आया,
तुम क्यों ऐसा किया..।
मेरे प्यार की चिट्ठी फाड़कर,
समन्दर में डूबो दिया..।2

आज तो हर पल रोता हूं,
तुमसे जो प्यार किया..।
गैर के बाहों में जाना था,
तो ऐसा तुमने क्यों किया।
जब से डुबोई मेरी चिठ्ठी,
दूसरी चिठ्ठी राख किया..।
मैंने भी कसम खाई है।
प्यार करना छोड़ दिया।


रोकर भी अब रो ना पाऊं,
जो प्यार में आग लगाई..।
जल चुके अब तेरे प्यार में,
बन के इक हरजाई।2

कैसे संभालूं आंसू को ये,
बस दिल में ही ये रोता है।
अब प्यार ना करेगा बेवफा से,
बस दिल ही ये कहता है।
जब से तुमने दिल को रुलाया,
वो सब छोड़ दिया...।
मैंने भी कसम खाई है।
प्यार करना छोड़ दिया।



© All Manoj Kumar