...

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मेरा यक़ीन करो..
अधीर चितवन
व्याकुल मन
दर्दों की दुनियाँ,
ग़मों का वन ,
टूटा हुआ,
मैं इस कदर,
मेरा यक़ीन करो,
मेरे हमसफ़र..

डूबती कश्ती,
तिनका सहारा,
मिटती ज़िन्दगी,
दूर होता किनारा..
उम्मीद की किरण,
रोशनी का सहर,
मेरा यक़ीन करो,
मेरे हमसफ़र...

लू के गर्म थपेड़े,
चलता जान बेज़ान,
सूखते गले-रूंधते गले,
सिसकियाँ अनजान..
अश्रुपूरित नज़र,
अनजानी डगर,
मेरा यक़ीन करो,
मेरे हमसफ़र...

उबड़-खाबड़,
पथरीली डगर,
इक पहर, दोपहर,
अगणित शहर,
मैं मुसाफ़िर,
भटकता दर-बदर,
मेरा यक़ीन करो,
मेरे हमसफ़र..
©शैलेन्द्र राजपूत
21.07.2020
© Shailendra Rajpoot