...

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ज़िंदगी के सफ़र में हर मोड़ आता है,
ज़िंदगी के सफ़र में हर मोड़ आता है,
विफलता, नाकामयाबी,उदासी का भी तोड़ आता है,
जीवन भी मुसाफ़िर है हर मुसाफ़िर का छोर आता है,
बढ़ना है बढ़ो निरंतर हर रात के बाद एक भोर आता है,
अपने कर्म पर क्या इतराना यहां तुमसे भी कोई बिजोड़ आता है,
अपने लक्ष्य के प्रति कमज़ोर ना पड़ना उसे चुराने भी कोई चोर आता है,
उसकी गली अब क्या ही जाना मुझे उसका किसी और का हो जाने का शोर आता है।

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