हम तो हम हैं !
संसार की गहराइयों का क्या पता
हम तो अपनी कश्ती किनारे रखने
वाले लोग हैं साहब!
आसमान की ऊंचाओं का क्या खौंफ
हम तो ज़मीनी धूल माथे पर सजाने
वाले लोग हैं साहब!
इश्क़ में बेवफ़ाई का क्या गम
हम तो दीवानगी के दरिया में...
हम तो अपनी कश्ती किनारे रखने
वाले लोग हैं साहब!
आसमान की ऊंचाओं का क्या खौंफ
हम तो ज़मीनी धूल माथे पर सजाने
वाले लोग हैं साहब!
इश्क़ में बेवफ़ाई का क्या गम
हम तो दीवानगी के दरिया में...