...

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हाये... ज़िन्दगी...
बड़ी कशमश में है ज़िन्दगी,
ज़िन्दा होने का सबूत माँग रही है

बड़ी बेखौफ से देखती है मुझे कलम,
शायद! स्याही सा अश्क बह रहा है।

अब ख्वाब सा लगता है बुने हुए सपने,
दुनिया की दौड़ में.. ज़िन्दगी बस चल रही है..।

कभी कश्ती बनाते थे जिस कागज़ को,
अब उसी पर ज़िन्दगी डगमगा रही है।

बस एक शाम रौशन करने को,
हर पहर जलाए जा रही है।

खैर.. मुँह भी तो कौन पड़े इसके,
अब आईना भी मुँह छुपाए जा रही है।


#Life
#Struggle
#Feel...


© Sumi_