...

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हाये... ज़िन्दगी...
बड़ी कशमश में है ज़िन्दगी,
ज़िन्दा होने का सबूत माँग रही है

बड़ी बेखौफ से देखती है मुझे कलम,
शायद! स्याही सा अश्क बह रहा है।

अब ख्वाब सा लगता है बुने हुए...