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चिड़िया का नीड़...
चुन-चुन कर लाती थी दाना
खुशियों से भरती थी घर सारा
सपनों से प्यारा अपना आशियाना
अधिसत्ता बदल गई शायद या
वक्त ही ना उसका हो पाया
पहले था जो नीड़ उसका सयाना
अब लगने लगा है उसे बेगाना...
#writcopoem
#Lifeatdawn
© khushaboo
खुशियों से भरती थी घर सारा
सपनों से प्यारा अपना आशियाना
अधिसत्ता बदल गई शायद या
वक्त ही ना उसका हो पाया
पहले था जो नीड़ उसका सयाना
अब लगने लगा है उसे बेगाना...
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