फर्ज़
मैंने कसम अपनी खाई हैं
ज़रूरत पड़ने पर परिवार से भी करी बेवफाई हैं
हाथ बंदुक ,सर पर कफ़न
मां तेरे आंचल में जान बिछाई हैं
आज सुबह का शोर देखूं न देखूं
सूर्य का भोर देखूं न देखूं
पर आत्मा अमर कहलाई हैं ।।
जय हिन्द वन्देमातरम🇮🇳🇮🇳
ज़रूरत पड़ने पर परिवार से भी करी बेवफाई हैं
हाथ बंदुक ,सर पर कफ़न
मां तेरे आंचल में जान बिछाई हैं
आज सुबह का शोर देखूं न देखूं
सूर्य का भोर देखूं न देखूं
पर आत्मा अमर कहलाई हैं ।।
जय हिन्द वन्देमातरम🇮🇳🇮🇳