कहां से लाऊं
पहले जो बात बात पर हंसते थे वो हंसी कंहा से लाऊं,
बचपन की होने वाली महसूस वो कमी कहां से लाऊं,
पहले हम रूठते थे तो अपने मना लेते थे
ताकत भरी आंखो कि वो नमी कहां से...
बचपन की होने वाली महसूस वो कमी कहां से लाऊं,
पहले हम रूठते थे तो अपने मना लेते थे
ताकत भरी आंखो कि वो नमी कहां से...