हाँ अब मुझे तुम वरण कर रही हो....
मैंने खोया था राधे तुम्हें द्वापर में,
मैं पुनः आज चुनने, आगे बढा हूँ।
हे मेरी प्रेयसी राधे अब हाथ दो
मैं उसी कृष्ण का अंश बनकर खङा हूँ।।
क्यूँ अपनी ही हठ में शरण कर रही हो ?
क्यूँ मन मीत मेरे हरण कर रही हो ?
वह समय न था तब आज फिर आ गया हूँ,
क्यूँ अब तुम...
मैं पुनः आज चुनने, आगे बढा हूँ।
हे मेरी प्रेयसी राधे अब हाथ दो
मैं उसी कृष्ण का अंश बनकर खङा हूँ।।
क्यूँ अपनी ही हठ में शरण कर रही हो ?
क्यूँ मन मीत मेरे हरण कर रही हो ?
वह समय न था तब आज फिर आ गया हूँ,
क्यूँ अब तुम...