राम नवमी ✍️✍🏻✍️
सूर्य तिलक रघुबर के माथे दिव्य अलौकिक कैसी छटा है
भारत वर्ष के माथे से ज्यों सदियों का ये कलंक हटा है
योगी ऋषी सब भाग्य प्रबल हैं जो ये अवसर आन पड़ा है
राम के मस्तक पर रवि सोहें कलियुग में त्रेता आन खड़ा है
मुख मंडल की आभा निहारो सूरज चाँद हजारो दिखे हैं
अवधी जन सौभाग्य तुम्हारे राम के पाँव अवध में टिके हैं
जिनके मन बसें राम लला तिन लेत बलैया प्रभु विग्रह की
जिनके अंतर...
भारत वर्ष के माथे से ज्यों सदियों का ये कलंक हटा है
योगी ऋषी सब भाग्य प्रबल हैं जो ये अवसर आन पड़ा है
राम के मस्तक पर रवि सोहें कलियुग में त्रेता आन खड़ा है
मुख मंडल की आभा निहारो सूरज चाँद हजारो दिखे हैं
अवधी जन सौभाग्य तुम्हारे राम के पाँव अवध में टिके हैं
जिनके मन बसें राम लला तिन लेत बलैया प्रभु विग्रह की
जिनके अंतर...