...

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मिलो कभी एकांत में
कभी तो मिलो मुझसे एकांत में,
गंगा किनारे, पूनम की रात में,
गुज़ारना है कुछ पल ख़ामोशी के
मुझे सिर्फ़ तुम्हारे साथ में ।।

हक़ीक़त में नहीं तो ख़्वाब में,
हो मुस्कान या चश्म - ए - आब में,
कभी तो आओ तुम बनकर लफ़्ज़
मेरे दिल की खुली किताब में ।।

सदियाँ नहीं सही लम्हात में,
धरती की आँगन हो या तारों की बागात में,
सौंप देंगे खुदको तुम्हारे हाथ में,
कभी तो मिलो मुझसे एकांत में ।।

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