खफ़ा किताबों की दुनिया से
किताबों की दुनिया में रहने वाले,
अब किताबों से डरने लगे।
जहाँ पहलें सारी बातें,
किताबों से होती थी,
वहाँ अब दिन बिस्तर के,
सिरहाने पड़े बीतने लगे।
जहाँ ईश्क़ किताबों से था,
तब तक सब ठीक था,
वहां अब नजरें बचाने लगे,
झांका बाहर क्या,
किताबों की दुनिया से,
हम वहीं खो गये,
लापता ऐसे हुए कि,
रास्तें मिले नहीं,
और मंजिलें दिखी नहीं,
बीच सड़क पर खड़ें ये सोचते अब,
कि कोनसी राह घर को ले जाती मुझे।
भागते ऐसे हम, ...
अब किताबों से डरने लगे।
जहाँ पहलें सारी बातें,
किताबों से होती थी,
वहाँ अब दिन बिस्तर के,
सिरहाने पड़े बीतने लगे।
जहाँ ईश्क़ किताबों से था,
तब तक सब ठीक था,
वहां अब नजरें बचाने लगे,
झांका बाहर क्या,
किताबों की दुनिया से,
हम वहीं खो गये,
लापता ऐसे हुए कि,
रास्तें मिले नहीं,
और मंजिलें दिखी नहीं,
बीच सड़क पर खड़ें ये सोचते अब,
कि कोनसी राह घर को ले जाती मुझे।
भागते ऐसे हम, ...