बहार और खार
अपने प्यार के मीठे रिश्ते को ना कभी लिखूँगा खार,
पतझड़ ख़ुद के लिए लिखूँगा, लिखूँगा उनके लिए बहार...!
जिस ने आगे ख़ुद रहकर पहले प्यार भरी बोली बोली,
फ़िर उस मीठे से रिश्ते में नफ़रत की कड़वाहट घोली,
उनके मेरे रिश्ते को कभी ना लिखूँगा मैं खार,
पतझड़ ख़ुद के लिए लिखूँगा, लिखूँगा उनके लिए बहार...!
चाहे राह ए उल्फत में संग चलकर वो हमको तन्हा छोड़ गई,
और संग जीने मरने की कसमों को ख़ुद पल में तोड़ गई,
फ़िर भी उनके प्यार को लिखूँगा मेरे जीवन का आधार,
पतझड़ ख़ुद के लिए लिखूँगा, लिखूँगा उनके लिए बहार...!
#sifar
© सिफर
पतझड़ ख़ुद के लिए लिखूँगा, लिखूँगा उनके लिए बहार...!
जिस ने आगे ख़ुद रहकर पहले प्यार भरी बोली बोली,
फ़िर उस मीठे से रिश्ते में नफ़रत की कड़वाहट घोली,
उनके मेरे रिश्ते को कभी ना लिखूँगा मैं खार,
पतझड़ ख़ुद के लिए लिखूँगा, लिखूँगा उनके लिए बहार...!
चाहे राह ए उल्फत में संग चलकर वो हमको तन्हा छोड़ गई,
और संग जीने मरने की कसमों को ख़ुद पल में तोड़ गई,
फ़िर भी उनके प्यार को लिखूँगा मेरे जीवन का आधार,
पतझड़ ख़ुद के लिए लिखूँगा, लिखूँगा उनके लिए बहार...!
#sifar
© सिफर
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