...

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ग़ज़ल
आज़ की पेशकश ~

दिल के राज़ बहुत गहरे हैं।
उन पर पहरे ही पहरे हैं।

कैसे कहें, अब कौन सुनेगा,
हम गूंगे है, वो बहरे...