...

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वक्त
एक वक्त था...
जब मेरे बिना कहे ही मेरा मन पढ़ लेते थे तुम
मेरे बिना कहे ही मेरे जज्बात जान लेते थे तुम
बातों के लिए लफ्जों की जरूरत नहीं थी हमें
बिना कुछ कहे ही सब कुछ कह देते थे
एक दूसरे की धड़कन महसूस कर लेते थे
खामोश रहकर भी बातें कर लिया करते थे
दूर होकर भी एक दूसरे के करीब थे हम
आज जाने कैसे मोड़ पर खड़े हैं हम
जहां....
साथ होकर भी साथ नहीं हैं हम
पास होकर भी बहुत दूर है हम
आज लब्ज़ तो हैं पर कहने को कुछ नहीं है
खामोशियां आज भी है....बस हम वो नहीं है
धड़कन आज भी वही है...बस हालात वो नहीं है
जज्बात आज भी वही है....बस एहसास अब नहीं है
सब कुछ वही है बस...हम अब वो नहीं है।।

© Megha

#Waqt #ehsas