...

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एक शख़्स मुझे अभी सा मिला है❣️
एक शख्स मुझे "अभी" सा मिला है
ग़ुलाब तो केवल एक फूल है जनाब
मेरे आशियाने का पुरा बागान खिला है
खुशनुमा मौसम तारी सा
इत्र से महकती क्यारी सा
लुब्ब-ए-लुबाब सा
हू बहू ग़ुलाब सा
उसके फुलवारी की पंखुड़ियाँ ,
मानो इस कदर महका रही है मेरे मन को
कुंठा अभिलाष निराशा से परे ,
अपार आशाओं से भर रही हो
जीवन को
ख्वाहिशें आलि हुई,ना ही कोई गिला है
एक शख्स मुझे "अभी" सा जो मिला है😊

"नंदिनी व्यास"✍️