...

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नादान परियाँ
मुट्ठी मूॅंद के जैसे
बालक धरती पर आते हैं
वैसे ही परीयाॅं भी
मुट्ठी मूॅंद के आतीं हैं
जैसे बालक अपने माँ बाप
का लाडला होता है
होती हैं वैसे ही परियां
माँ की लाडली
पापा की परियाँ
जैसे दादा जी के पास बैठकर
साहब बाबू...