...

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गुरु
गुरु बिना ज्ञान अधुरा हे जैसे आत्मा बिना शरीर
ये एसा सच हे जिसे वे खुद बतलाते हे,
अपने मधुर शब्दो से और स्पष्ट् वाणी से,
अंधकार हटाकर दुनिया का सच बताते हे।
जो खुद के दुख भूल कर
अपने शिष्यो को ज्ञान बाँटते हे,
वेही तो सच्चे गुरु केहेलाते हे।
चाहे कठिन परिस्थिति हो या ना हो
अपने सच्चे शिष्यो का हाथ हमेशा थामे रहते हे,
ऐसे पुरुषोत्तम हे वो।
इतने कम शब्दो में उनका वर्णन कर सकु
ऐसा ज्ञान कहा मुझमें,
बस एक आखरी बात कहूँगा आपसे,
जो में अब आपकी शरण में आगया हुँ,
नही जाना कही और
बस ऐसे हि कृपा करो गुरुजी मेरे,
आपके बिना मेरा कौन।

© Parth vyas