...

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तस्वीर


वो हमसे कुछ इस तरह रूठे,
कि दुनिया छोड़ के चले गए,
मै अब तक अपने हांथो में,
उनकी तस्वीर लिए बैठी हूं।

वो शब- ए- फ़िराक़ का मंजर,
कुछ यूं बसा मेरी आंखो में
वो गम- ए- जुदाई अब,
जाती नहीं दूसरों के रफ़ाकतो से,

तेरी तस्वीर लिए फिरती हूं,
दीवानी सी मै आंगन में,
अदावत - ए- कल्बी हो गई,
अब इन चांदनी रातों...