स्त्री और बंदिशे
स्त्री तुझ पर हर रोज नई बंदिशे लगती है।
हर रोज नए सपने मरते हैं।।
उड़ने की चाहत मुझ में भी है। पर
मेरे पंख काट दिए जाते हैं।
जब मैं मेरे मां की कोख में पनपी ना होगी पूरी। तब से मेरे मां-बाप को चिंता सता रही होगी मेरी। कहीं लड़की...
हर रोज नए सपने मरते हैं।।
उड़ने की चाहत मुझ में भी है। पर
मेरे पंख काट दिए जाते हैं।
जब मैं मेरे मां की कोख में पनपी ना होगी पूरी। तब से मेरे मां-बाप को चिंता सता रही होगी मेरी। कहीं लड़की...