स्त्री और बंदिशे
स्त्री तुझ पर हर रोज नई बंदिशे लगती है।
हर रोज नए सपने मरते हैं।।
उड़ने की चाहत मुझ में भी है। पर
मेरे पंख काट दिए जाते हैं।
जब मैं मेरे मां की कोख में पनपी ना होगी पूरी। तब से मेरे मां-बाप को चिंता सता रही होगी मेरी। कहीं लड़की तो ना होगी।
कहीं लड़की तो ना होगी। ..मुझे मेरे ही घर में मेरे भाई से भी कम आका जाता है।
मेरे अपनों में ही मुझे पराया बना दिया जाता हैं । पढ़ाई की उम्र में ही शादी के सपने दिखा दिए जाते हैं
पैरों में बेड़ियों की जगह जंजीरे बांध दिए
जाते हैं।
बंदिसो के इस भंवर में वह सारी उम्र पिसती रहती है।
स्त्री तुझ पर हर रोज नई बंदिशे से लगती है।। #WritcoQuote #Women #power #saru
हर रोज नए सपने मरते हैं।।
उड़ने की चाहत मुझ में भी है। पर
मेरे पंख काट दिए जाते हैं।
जब मैं मेरे मां की कोख में पनपी ना होगी पूरी। तब से मेरे मां-बाप को चिंता सता रही होगी मेरी। कहीं लड़की तो ना होगी।
कहीं लड़की तो ना होगी। ..मुझे मेरे ही घर में मेरे भाई से भी कम आका जाता है।
मेरे अपनों में ही मुझे पराया बना दिया जाता हैं । पढ़ाई की उम्र में ही शादी के सपने दिखा दिए जाते हैं
पैरों में बेड़ियों की जगह जंजीरे बांध दिए
जाते हैं।
बंदिसो के इस भंवर में वह सारी उम्र पिसती रहती है।
स्त्री तुझ पर हर रोज नई बंदिशे से लगती है।। #WritcoQuote #Women #power #saru