...

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बारिश, तुम्हारी याद और मम्मी की डांट
स्टूल .. स्टूल पर विराजमान मैं, कूलर....कूलर की तेज़ तरार हवा से उड़ती मेरी बंधी जुल्फें,खुला दरवाज़ा .......दरवाज़े से निहारती बरसात की बूंदों को मेरी आंखें,
चाय का कप और पकोड़े की प्लेट...... चाय और पकौड़े की असमंझस में खोई मैं न जाने कब बतियाने लगी आसमान की गिरती बरसाती बूंदों से तुम्हारी बातें
और इन्ही सब में पता नहीं कब मेरे चाय पकौड़े ठंडे हो गए
बरसात थम गई
शांति कोलाहल में बदल गई
बाहर गली में किसी की गाड़ी का हॉर्न बजा और
फिर याद आया की दूध गैस पर चढ़ा कर भूली थी मैं तेरी यादों में इतनी देर से डूबी थी मैं

अब तुम तो यार तुम्हारे शहर ठहरे
मगर दूध के नुकसान में मम्मी देगी घाव बहुत गहरे।।
🤕😅❤️

© ak.shayar