काल
प्रचंड अग्नि की तरह बढ़ा
अखंड पाषाण सा खड़ा
राख के समंदर में पला
ये वो काल है, ये वो काल है
समेटकर गमों को सारे...
अखंड पाषाण सा खड़ा
राख के समंदर में पला
ये वो काल है, ये वो काल है
समेटकर गमों को सारे...