विकास की "खुशी"
आए हो जबसे ज़िंदगी में ज़िंदगी लगती है
लबों पे थी मुस्कान पर अब खुशी लगती है
सहर ए ज़िंदगी में डूबा सा था सूरज कहीं
देखा जो आंखों में तुम्हारे रोशनी लगती है
सांसें जो भर ली, ज़िंदगी कटी थी उनके बिना
उनके नाम के बिना तो धड़कन अधूरी लगती है...
लबों पे थी मुस्कान पर अब खुशी लगती है
सहर ए ज़िंदगी में डूबा सा था सूरज कहीं
देखा जो आंखों में तुम्हारे रोशनी लगती है
सांसें जो भर ली, ज़िंदगी कटी थी उनके बिना
उनके नाम के बिना तो धड़कन अधूरी लगती है...