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मेरी बांसुरी और तुम्हारा नृत्य
"मेरी बांसुरी और तुम्हारा नृत्य"

नृत्य का मतलब मैंने तब जाना था,
जब उसकी लचीली कमर और भी ज्यादा लचक गई थी,
मेरी बांसुरी की धुन पर,

उसके पैरों में बंधे मेरे अप्रतिम प्रेम के नुपुर,
जैसे बार-बार छनक कर मेरी सांसों में स्वरों को बांध जाते,
उसके हाथों की वो अनगिनत मुद्रायें जैसे,
साक्षात अर्धनारीश्वर से सारी कलाएं सीखकर मुझे उसका अंश देने के लिए लालायित थीं,

उसके श्रृंगार का एक-एक अंश जैसे कितनी ही रागों का समन्वय लिए था,
जिसमें...