...

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#4 जून की बात है
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
ये कहना अकस्मात है •••

कहीं दुआ और कहीं दुर्भाव हैं
अगर चलते रहे अपने कर्मपथ तो
जैसे तेरा भाव वैसे प्रभाव है •••

जबतक चलेगी जिंदगी की सासें
कहीं प्यार कहीं टकराव है •••

जून का महीना है
हल्की बारिश हल्की छाय है •••

कहीं अंतर्मन के संबंध तो
कहीं आत्मीयता का अभाव है
चार जून की बात है
उसमे भी कुछ घात है.....





© Angelite** :)