#दरख्त
#दरख्त
दरखतों को झुकाना जानते हैं
रुख़ हवाओं का मोड़ना जानते हैं
रेत की चमक मे मत खो जाना
हम सोने की असल पहचान जानते हैं।
धोखेबाजों की औकात जानते हैं
बिखरे फूलों का हर जखम जाानते हैं
कोई खास सिकवा नहीं मुकद्दर से
आने वाले सितमों की आहट जानते हैं।
मेहरबान तूफान को भी जानते हैं
ज़ालिम तपिस का केहर भी जानते हैं
बची हुई सास को गिना खुद से
हम आने वाली मौत का वक्त जानते हैं।
© Nitish Nagar
दरखतों को झुकाना जानते हैं
रुख़ हवाओं का मोड़ना जानते हैं
रेत की चमक मे मत खो जाना
हम सोने की असल पहचान जानते हैं।
धोखेबाजों की औकात जानते हैं
बिखरे फूलों का हर जखम जाानते हैं
कोई खास सिकवा नहीं मुकद्दर से
आने वाले सितमों की आहट जानते हैं।
मेहरबान तूफान को भी जानते हैं
ज़ालिम तपिस का केहर भी जानते हैं
बची हुई सास को गिना खुद से
हम आने वाली मौत का वक्त जानते हैं।
© Nitish Nagar