आज बैठा हुँ फुर्सत में जिंदगी
आज बैठा हुँ फुर्सत में जिंदगी,
आ इक मुलाकात करते हैं,
क्या मिला, क्या खोया उसकी बात करते हैं,
अक्सर शिकायत रही मुझे भी,
कभी तुमसे मिलने का वक्त न मिला,
बस भागता रहा जरूरतों की दौड़ में,
कभी ढलती शाम का वो सुकून न मिला,
आज लंबी रात है तन्हा भी हुँ,
आ जिंदगी कुछ बात करते हैं.
आज बैठा हुँ...