...

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आज बैठा हुँ फुर्सत में जिंदगी

आज बैठा हुँ फुर्सत में जिंदगी,
आ इक मुलाकात करते हैं,
क्या मिला, क्या खोया उसकी बात करते हैं,
अक्सर शिकायत रही मुझे भी,
कभी तुमसे मिलने का वक्त न मिला,
बस भागता रहा जरूरतों की दौड़ में,
कभी ढलती शाम का वो सुकून न मिला,
आज लंबी रात है तन्हा भी हुँ,
आ जिंदगी कुछ बात करते हैं.
आज बैठा हुँ फुर्सत में.....
कुछ पुरानी यादों की बात करते हैं.

बहुत उदास हुँ कहने को बहुत है,
मगर सुनने वाला कोई नहीं है आज,
दिल की किताबों में बंद हर राज खोल रहा,
मगर उसको पढ़ने वाला कोई नहीं है आज,
बहुत कमाल की है ये रात भी जो ढलती नहीं,
बादल भी घिर कर बरसते नहीं...
हर तरफ खामोशी सी है कोई साथ नहीं,
आज फुर्सत में हुँ मैं जिंदगी.....
आ कुछ सवाल करने हैं....
कुछ उलझे किस्सों के बात समझने हैं...
आ जिंदगी तुमसे ही एक मुलाकात करते हैं.




© abhay chaturvedi