ख़ुशबू बहुत हैं...!
ख़ुशबू बहुत है...!
मेरे युवा-आम में नया बौर आया है
ख़ुशबू बहुत है क्योंकि तुमने लगाया है
आएगी फूल-हवा अलबेली मानिनी
छाएगी कसी-कसी अँबियों की चाँदनी
चमकीले, मँजे अंग
चेहरा हँसता मयंक
खनकदार स्वर में तेज गमक-ताल फागुनी
मेरा जिस्म फिर से नया रूप धर आया है
ताज़गी बहुत है क्योंकि तुमने...
मेरे युवा-आम में नया बौर आया है
ख़ुशबू बहुत है क्योंकि तुमने लगाया है
आएगी फूल-हवा अलबेली मानिनी
छाएगी कसी-कसी अँबियों की चाँदनी
चमकीले, मँजे अंग
चेहरा हँसता मयंक
खनकदार स्वर में तेज गमक-ताल फागुनी
मेरा जिस्म फिर से नया रूप धर आया है
ताज़गी बहुत है क्योंकि तुमने...