जन्मदिन मुबारक
तुमने तो सदैव ही मुझसे बहुत लड़ाई की है
हमेशा ही दूसरों की, मेरे समक्ष बड़ाई की है
कितना कहूँ,मुझसे कहनेवाली बातें ही नहीं बन रही
और लगता है भय से तुम्हारे मेरी कलम ही नहीं चल रही
जितनी भी बातें अपने लेखन मे लिखी है तुमने, उसमें से ज्यादातर का मैंने भी आभास किया है
और लिखकर उसको व्यक्त करने का मैंने भी भरपूर प्रयास किया है
इक बात तुम्हारी है जो तुमको बनाती है अलग सबसे
सबसे लड़ना,लड़कर मिलना और किसी को भी समझाना बड़े जतन से
तुम्हारी जो हरकते हैं जो अक्सर होती हैं टामबाॅय वाली
सबको अच्छी लगे न लगे मुझको लगती हैं मन मोहने वाली
अब तो तुम हेड गर्ल हो, ये तो और भी अच्छा है
कुछ लोगों को छोड़कर और सभी को कहाँ पता कि मन अभी बी तुम्हारा बच्चा है
मैं तो यही सोचता रहता हूँ कि कैसे कोई तुमसे ये कहेगा
गुस्सा होती तो ऐसे हो जैसे तुमसे हमेशा ही कोई डरेगा
चलो अब इतना तो हास्य विनोद करना मेरा हक है
तुमने तो अंतिम समय दिया है कुछ देने को,जो तो कल ही तक है
नृत्य की अद्भुत कला जो तुम्हारे अंदर विद्यमान है
तुमको जिन्होंने जाया है,इतना साहसी बनाया वो माँ भी महान है
ऐसे ही तुम निरंतर सबका नाम प्रकाशमय करती जाओ
सबकी छोड़ो, तुम बस अपने कदम सफलता की ओर बढ़ाओ
तुम जब नृत्य करो तो पूरा प्रांगण ही उत्साह से खड़ा हो,यही तो मेरी अभिलाषा है
और तुम जब बोलो तो सब सुनने को लालायित हो यही मेरी तुमसे आशा है
जितनी बार इस जहाँ में गिरना उतनी बार तुम उठ जाना
अगर कोई कुछ कहे तो, उसको हमसे भी थोड़ा मिलवा लाना
खुशियाँ तुम्हारे जीवन में इस कदर आएं
दुख भी खड़ा होकर बगल में रोए और गिड़गिड़ाए
अभी तो तुम्हारी मंजिल पाने का रास्ता खुला है
तुम्हारी मेहनत,किस्मत और माँ ने ये द्वार चुना है
कुछ असफलताओं के समक्ष आने से तुम ना घबराना
बस इक श्वास में उड़ना और सफलता के द्वार में प्रवेश कर जाना
अब इतना ही कह पाया मैं,इतनी लम्बी बातों में
सबकुछ बदल जाता ही है चंद चांदनी की रातों में
है आशा यही कि तुम सदैव ऐसे ही संपूर्ण जीवन में रहोगी
सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी सब बदल जाए पर तुम नहीं बदलोगी
है जन्मदिवस आज तुम्हारा , इसकी बहुत बधाई तुमको
जीवन में ऐसे कार्य करो ,बनकर सितारा इक चमको
और हो कोई कार्य बेझिझक मुझको याद करलेना
यह कविता और मेरे समर्थन को ही मरा उपहार समझ लेना
© प्रांजल यादव
हमेशा ही दूसरों की, मेरे समक्ष बड़ाई की है
कितना कहूँ,मुझसे कहनेवाली बातें ही नहीं बन रही
और लगता है भय से तुम्हारे मेरी कलम ही नहीं चल रही
जितनी भी बातें अपने लेखन मे लिखी है तुमने, उसमें से ज्यादातर का मैंने भी आभास किया है
और लिखकर उसको व्यक्त करने का मैंने भी भरपूर प्रयास किया है
इक बात तुम्हारी है जो तुमको बनाती है अलग सबसे
सबसे लड़ना,लड़कर मिलना और किसी को भी समझाना बड़े जतन से
तुम्हारी जो हरकते हैं जो अक्सर होती हैं टामबाॅय वाली
सबको अच्छी लगे न लगे मुझको लगती हैं मन मोहने वाली
अब तो तुम हेड गर्ल हो, ये तो और भी अच्छा है
कुछ लोगों को छोड़कर और सभी को कहाँ पता कि मन अभी बी तुम्हारा बच्चा है
मैं तो यही सोचता रहता हूँ कि कैसे कोई तुमसे ये कहेगा
गुस्सा होती तो ऐसे हो जैसे तुमसे हमेशा ही कोई डरेगा
चलो अब इतना तो हास्य विनोद करना मेरा हक है
तुमने तो अंतिम समय दिया है कुछ देने को,जो तो कल ही तक है
नृत्य की अद्भुत कला जो तुम्हारे अंदर विद्यमान है
तुमको जिन्होंने जाया है,इतना साहसी बनाया वो माँ भी महान है
ऐसे ही तुम निरंतर सबका नाम प्रकाशमय करती जाओ
सबकी छोड़ो, तुम बस अपने कदम सफलता की ओर बढ़ाओ
तुम जब नृत्य करो तो पूरा प्रांगण ही उत्साह से खड़ा हो,यही तो मेरी अभिलाषा है
और तुम जब बोलो तो सब सुनने को लालायित हो यही मेरी तुमसे आशा है
जितनी बार इस जहाँ में गिरना उतनी बार तुम उठ जाना
अगर कोई कुछ कहे तो, उसको हमसे भी थोड़ा मिलवा लाना
खुशियाँ तुम्हारे जीवन में इस कदर आएं
दुख भी खड़ा होकर बगल में रोए और गिड़गिड़ाए
अभी तो तुम्हारी मंजिल पाने का रास्ता खुला है
तुम्हारी मेहनत,किस्मत और माँ ने ये द्वार चुना है
कुछ असफलताओं के समक्ष आने से तुम ना घबराना
बस इक श्वास में उड़ना और सफलता के द्वार में प्रवेश कर जाना
अब इतना ही कह पाया मैं,इतनी लम्बी बातों में
सबकुछ बदल जाता ही है चंद चांदनी की रातों में
है आशा यही कि तुम सदैव ऐसे ही संपूर्ण जीवन में रहोगी
सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी सब बदल जाए पर तुम नहीं बदलोगी
है जन्मदिवस आज तुम्हारा , इसकी बहुत बधाई तुमको
जीवन में ऐसे कार्य करो ,बनकर सितारा इक चमको
और हो कोई कार्य बेझिझक मुझको याद करलेना
यह कविता और मेरे समर्थन को ही मरा उपहार समझ लेना
© प्रांजल यादव