...

2 views

ख़ुद का पता
कहीं थी कोई कमी कहीं था मुकम्मल जहां।
जहां था मुकम्मल जिधर ज़िंदादिल कभी ना रहा वहां।
आख़िर गिला भी क्या हो ज़िन्दगी से ज़िंदादिल।
तू रहा खोया हुआ तुझको ढूंढता रहा तेरा ख़ुदा।।
गर नाराज़ हो तुम तो कोई तुम्हें मनाता भी कहां?
तेरे...