...

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नज़रों में छिपे राज़
उसकी आंखें ही सब राज़ रखती है,
ना जानें कितना गम छुपाए बैठी है..
कहती तो ना है किसी से कुछ???
...पर हां!!!
मन के अन्दर एक गम का पहाड़ लिए बैठी है!!

कभी लिखती है अपने गमों को,
तो कभी कला में उकेर देती है।
ना जाने कितने राज़ खुद में समेटे रहती है,
वो खुद से ही अनगिनत राज़ छुपाए रखती है..!

© Problem Repeater