इंतहा
तुम्हारी विविध कविताओं में
ये जो जिक्र आता है कभी कभी
हम जो पूछे
तो बात बदल देते हो
बड़े संभाल के रखते हो ,
वो गुलाब तुम
पन्ने दर पन्ने पलटते हुए
हम जो पूछे
तो बात बदल...
ये जो जिक्र आता है कभी कभी
हम जो पूछे
तो बात बदल देते हो
बड़े संभाल के रखते हो ,
वो गुलाब तुम
पन्ने दर पन्ने पलटते हुए
हम जो पूछे
तो बात बदल...