माँ
ऐ माँ! सबका ख़्याल रखते रखते
तू अपना ख़्याल भूल जाती है।
ना जाने इतनी शक्ति तुझमें,
कैसे और कहाँ से आती है।
माँ तूने हरदम देना ही सीखा है
तू कहाँ बदले में कुछ चाहती है।
माँ जब भी कोई प्रार्थना करती है
माँ बच्चों की ख़ुशी ही...
तू अपना ख़्याल भूल जाती है।
ना जाने इतनी शक्ति तुझमें,
कैसे और कहाँ से आती है।
माँ तूने हरदम देना ही सीखा है
तू कहाँ बदले में कुछ चाहती है।
माँ जब भी कोई प्रार्थना करती है
माँ बच्चों की ख़ुशी ही...