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" टूटा दिल "
टूटे दिल से मुलाकात हो तो पूछना की वो मुस्कुराता कैसे है
उसके प्यार की बात हो तो उसे भुलाता कैसे है
तनहाई में या महफ़िल में आंसुओं को छुपाता कैसे है
प्यार को नहीं पाकर भी उसे ही ताउम्र चाहता कैसे है
प्यार उसका हो जाये किसी और का देख पाता कैसे है
प्यार के आलावा और भी जिम्मेदारियां है उन्हें निभाता कैसे है
जब याद आये प्यार की तो खुद को बहलाता कैसे है
आदत प्यार के बाँहों की छोड़ पाता कैसे है
दिखे ना प्यार जमाने को खुद को रोक पाता कैसे है
नींद नहीं आये रातो को तो खुद को सुलाता कैसे है
इश्क़ की तड़प से खुद को बचाता कैसे है
भूलकर अपने प्यार को किसी और का हो पाता कैसे है
किसी और पर भी प्यार फिर जताता कैसे है
ऐसा नहीं करता तो जी पाता कैसे है
और कर लेता है तो कर पाता कैसे है
कभी टूटे दिल से मुलाकात हो तो पूछना की वो मुस्कुराता कैसे है
© Gayatri Dwivedi
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