...

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किताबो का महत्व
हमने अपनी अलग दुनिया बनाई है।
पुरी ज़वानी किताबो में खपाई है।
सुकून पाने की खातिर फिर भी ,
हमने हमेशा दूसरी किताब उठाई है।

किताबो को छोड़ूं तो,
सपने ओझल नजर आते है।
बस इसी डर से कभी कभी ,
किताबों को हाथ मे पकड़ कर सो जाते है।

कमबख्त किताबे फिर भी ,
बड़ा जुर्म ढाह रही है।
मेरा आराम नहीं पसन्द इनको ,
इसलिए नीचे गिर जा रही है।

या फिर,
किताबे हमे उस मुकाम तक ले जाना चाहती है,
जहां से,
ना लगे सपनो को ठेस इसलिए खुद चोट खाती है।

© Sumit Kumar